मोदी सरकार 19 लाख ईवीएम मशीनो के गायब होने पर चुपी कयो साधे हुये है और चुनाव आयोग कोई एक्शन क्यों नही ले रहा है क्या यह किसी बड़े षड़यत की का संकेत नही है ?
आपको याद होगा पिछले साल इन्ही दिनों मध्य प्रदेश में भिंड के अटेर विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव थे अटेर में पहली बार वीवीपैट से चुनाव होने जा रहे थे और सलीना सिंह जो मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी थी उन्होंने पत्रकारों को इस प्रक्रिया को समझने के लिए आमंत्रित किया था पत्रकारों के सामने ईवीएम का डेमो किया गया तो पाया कि बटन किसी और का दबता था लेकिन पर्ची प्रायः बीजेपी की निकलती थी।
मशीन में वोटर वेरीफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) लगी हुई थी. इसी के चलते मशीन में गड़बड़ी की पोल खुल गई. घटना के राष्ट्रीय पटल पर आते ही ज़िला के एसपी अनिल सिंह कुशवाह और कलेक्टर इलियाराजा टी. समेत कई अधिकारी-कर्मचारी नप गए।
कलेक्टर साहब ने बोल दिया कि ये मशीनें यूपी के कानपुर से आई हैं जहां पिछले दिनों विधानसभा चुनाव संपन्न हुए हैं और मशीनों का कैलीब्रेशन किया जाना शेष था. उनके इस बयान ने आग में घी का काम किया चारो ओर हल्ला मच गया कि इवीएम में गड़बड़ी हैं
अब समस्या यह पैदा हो गयी कि उत्तरप्रदेश में चुनाव 11 मार्च को हुए थे और यह घटना 31 मार्च की है कानूनन ईवीएम 45 दिनों तक दूसरी जगह इस्तेमाल नही की जा सकती थी इसलिए चुनाव आयोग पसोपेश में पड़ गया उसने अपने बचने का रास्ता निकाला और कहा कि यह नियम तो ईवीएम मशीन पर लागू होता हैं वीवीपीएटी मशीन के बारे में कोई कानून नहीं है। इसीलिए वीवीपीएटी मशीनों को स्थानांतरित कर दिया गया था ओर गलत परिणाम आना वीवीपीएटी की गलती थी।
आरोप-पत्र में भी यही लिखा है कि वीवीपीएटी मशीन में पहले से दर्ज डाटा को प्रदर्शन से पहले डिलीट करना था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। गंभीर लापरवाही के कारण राजनीतिक दलों में ईवीएम और वीवीपीएटी मशीन को लेकर भ्रम पैदा हुआ। यह जानते हुए भी कि शिकायत के बाद आपको इसकी जांच कराना थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यह मशीन सुरक्षित रखने कीबजाय पोलिंग बूथ के लिए आवंटित कर दी गई। इस लापरवाही के लिए सरकार ने आप पट अनुशासनात्मक कार्यवाही करने का निर्णय लिया है
अब प्रश्न यह पैदा होता है कि इवीएम मशीन में कोई डाटा फीड किया जाता है यह तो संभव है लेकिन क्या वीवीपीएटी मे भी कोई डाटा फीड रहता है या किया जाता है ? क्योंकि हमें तो यही बताया जाता है कि हम जिस निशान का बटन ईवीएम में दबाते है उसी का वीवीपीएटी मशीन प्रिंट निकालती है
वीवीपीएटी के तहत प्रिंटर की तरह का एक उपकरण इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से जुड़ा होता है. जब वोट डाला जाता है तब इसकी एक पावती रसीद निकलती है. इस पर क्रम संख्या, नाम तथा उम्मीदवार का चुनाव चिन्ह दर्शाया जाता है. यह उपकरण वोट डाले जाने की पुष्टि करता है.इससे वोटर अपने वोट के ब्योरे की पुष्टि कर सकता है. रसीद 7 सेकंड तक दिखने के बाद ईवीएम से जुड़े कन्टेनर में स्वतः चली जाती है।
क्या ईवीएम मशीन की तरह वीवीपीएटी में भी क्या प्रतीक चिन्ह पहले से ही लोड रहते हैं ? जिसे ठीक से केलिब्रेट करना होता है क्या यह प्रक्रिया कलेक्टर को समझाई जाती है ?
गुजरात विधानसभा चुनावों के बाद इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की विश्वनीयता पर उठे सवालों के बीच कर्नाटक के सूचना मंतरी प्रियंक खड़के ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर ईवीएम को हैक करने की चुनौती देते हुए कहा है कि मशीन में छेड़छाड़ की दावों साबित करने के लिए हैकथॉन करवाया जाए। बता दें कि, राज्य में इसी साल विधानसभा चुनाव होने वाले है और चुनावों से कुछ महीने पहले ही उन्होंने यह पत्र लिखा है।
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